देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
श्री महा लक्ष्मी अष्टोत्तर शत नामावलि
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति ।
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देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका ।
श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)
श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम् ।
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